Tuesday, October 19, 2010
गीता सुगंध - 06
ज्ञान - योग समीकरण - 06
गीता के दो श्लोक - 2.56 , 4.10
यहाँ सूत्र - 2.56 कहता है .......
राग , भय , क्रोध रहित ब्यक्ति स्थिर प्रज्ञ होता है , और ----
सूत्र - 4.10 कहता है .......
प्रभु समर्पित , राग , भय , क्रोध रहित ब्यक्ति - ज्ञानी होता है ॥
राग भय क्रोध से मुक्त कोई कब होता है ------ ?
राग और क्रोध , यहाँ , राजस गुण के तत्त्व हैं और ......
भय तामस गुण का तत्त्व है ॥
गीता सूत्र - 6.27 में प्रभु कहते हैं ........
मेरे मार्ग पर जो चलना प्रारभ करते हैं उनके लिए राजस गुण सबसे मजबूत रुकावट है और ....
गीता सूत्र - 2.52 में प्रभु कहते हैं ......
मोह के साथ बैराग्य में कदम नहीं पड़ता ॥
प्रभु के मार्ग पर जो चलना चाहतेहैं .......
उनको राजस गुणों के तत्वों के प्रति होश बनाना चाहिए -----
उनको तातस गुणों के तत्वों के प्रति होश मय होना पड़ता है , और ----
उनको अहंकार को समझना होता है ॥
और उनको बोध के साथ , ज्ञान , बैराग्य स्वतः मिलते रहते हैं ॥
===== ॐ ======
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