Monday, October 4, 2010

गीता अमृत - 45

कर्म योग समीकरण - 26

गीता के पांच सूत्र --------

[क] सूत्र - 2.55 , 2.70

कामना रहित , समुद्र जैसा शांत अन्तः करण वाला
स्थिर प्रज्ञ होता है ॥

[ख] सूत्र - 18.2
कामना रहित कर्म , कर्म संन्यास है ॥

[ग] सूत्र - 4.38

सभी योगों का फल , ज्ञान है ॥

ज्ञान का अर्थ यह नहीं की शास्त्रों - वेदों का ज्ञान या
वह जिसको तर्क के
आधार पर बुद्धि , ज्ञान की संज्ञा
देती है , गीता ज्ञान उसको कहता है
जो यह बताये :
क्षेत्र - क्षेत्रज्ञ क्या हैं --- गीता - 13.3
गीता जिनके मुख से निकली है , वे कहीं कोई संदेह नहीं रखना चाहते ,
आप को एक बार गीता पढनें की कला आजाये तो
गीता ही आप का गुरु है , कुछ ऐसा आप को लगनें लगेगा ॥


==== ॐ ======

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