Friday, February 27, 2009

वह फरिस्ता है.......

वह फरिस्ता है...उसे जाने दो------
ऊपर नभ में उसे निहारना भी नहीं--
ऊपर देख उसे पुकारना भी नहीं-----
वह जा रहा है---उसे जानें दो.........
वह फरिस्ता है...उसे जानें दो
वह साथ था पर कभीं देखा नहीं
वह अंदर धड़कता था पर कभीं सुना नहीं
वह चलाता था उस ओर मैं चला नहीँ.....
वह फरिस्ता है .....उसे जानें दो
मैं उससे था पर कभीं सोचा नहीं
वह हसाता भी था पर मैं हँसा नहीं
वह चाहता है नभ की सरहद पार करना...उसे करनें दो
वह फरिस्ता है.....उसे जानें दो
वह साथ-साथ था मुझे लेजानेंको
मैं विकारों में फसता चला गया
आज धरा पर गिरा पडा हूँ...पड़े रहनें दो
वह फरिस्ता है....उसे जानें दो
मैं वह न था वह मैं न था
मैं वासना वह प्यार था
वह अपनें परम प्यार से मिलना चाहता है....मिलनें दो
वह फरिस्ता है....उसे जानें दो
मैं भावों में डूबा वह भावातीत है
मैं गुणों में उलझा वह उस पार है
मैं विकारों में अटका वह निर्विकार है
वह फरिस्ता है उसे जानें दो

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