Tuesday, February 17, 2009

गीता-मंत्र

गीता के श्लोक १५.१३ तथा १५.१४ कम से कम ४००० वर्ष पुरानें तो हैं, लेकिन इनपर शोध कार्य भारत में नहीं होपाया, क्यों?

श्लोक १५.१३ कहता है.....पृथ्वी की धारण करनें की शक्ति [gravity] को समझना ही परमात्मा को समझना है , गीता श्लोक १५.१४ कहता है.....जो श्वाश हम लेते हैं तथा जो श्वाश हम छोड़ते हैं दोनों का समीकरण हमारे पाचन क्रिया को नियंत्रित करता है ! अब आप इन दो बातोंपर चिंतन करें

Sir Issac Newton ने जो गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत दिया उसपर आज का विज्ञानं आधारित है पर यह सिद्धांत भी संदेह से अछुता नहीं है क्योकि Einstein इसपर पुरी तरह से सहमत नहीं थे गीता श्लोक १५.१४ योगाचार्यो द्वारा बताया तो जा रहा है पर वैज्ञानिक रूप से इस पर काम नहीं हुआ है .......आप इस बिषय पर काम प्रारम्भ कर सकते हैं ?

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