Friday, February 20, 2009

गीता तत्त्व विज्ञानं---क्रमशः

सतगुण से मनुष्य परमात्माकी ओर मुड़ता है, राजस से भोग तत्वों में आसक्त होता है और तामस से भय,आलस्य तथा मोह से बधता हैभोग-भगवानको एक साथ एक बुद्धि में रखना असंभव हैसंकल्प धारीयोगी नहीं हो सकता [गीता-6.4] ,संकल्पों का त्यागी योगी होता है[गीता-6.2] संकल्प से कामना उठती है[गीता-6.24],कामना टूटनें पर क्रोध पैदा होता है[गीता-2.62],राजस से रूप,रंग,कामना तथा लोभ आता है राजस भोग में रूचि पैदा करता है और तामस से भय तथा मोह आते हैंकाम,क्रोध और लोभ नरक के द्वार हैं

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