Tuesday, February 24, 2009

राम और मन्दिर

बाबर[१५२६-१५३०] सन १५२८ में अयोध्या में राम-मन्दिर को तोड़वा कर बाबरी मस्जिद बनवाया.....यह बात सभींलोगों के जुबान पर है......हमें राजनीतिसे कुछ लेना -देना नहीं है लेकिन मनुष्य परमात्मा से किस प्रकार जुड़ता है---उस स्थिति को जरुर देखना चाहिए
अकबर[१५४०-१६०५] बाबरी-मस्जिद बननेंके ठीक १२ वर्ष बाद गद्दी पर बैठे जिनके दरबार में अनेक प्रतिष्ठित हिंदू उचे-उचे ओहदों पर थे लेकिन किसी नें राम-मन्दिर की बात नहीं उठाई
अकबर के ही समय में लगभग ४६ वर्ष बाद [सम्बत १६३१] तुलसी दस राम चरित मानस की रचना का प्रारम्भ अयोध्या में किया लेकिन कहीं भी राम-मन्दिर की चर्चा नहीं किया
आप कृपया इस बात पर गहराईसे सोचें
राम जब लंका में युध्य कर रहे थे तो उनकी सेना में कितनें मानव थे,उस समय भी मानव गायब थे ,मानव से उत्तम तो पशु-पंछीथे जिन्होंनें उनका साथ दियासन १५२८ से आज तक हम क्या कर रहें हैं?........आप इस विषय पर गंभीरता से सोचें
जे.कृष्ण मूर्ती कहते हैं........truth is pathless journey
और लओत्सू कहते हैं .....व्यक्त सत्य असत्य होता है

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