Saturday, February 14, 2009

तंत्र एवं गीता

तंत्र चक्रों के माध्यमसे काम-उर्जा को रूपांतरित करके मन - बुद्धि में बहनें वाली उर्जा
को राम की ओर घुमादेताहै और गीता तीन गुडों से आजाद कराकर आत्मा को स्थूल
शरीर में आजाद करता है .......देखिये गीता-श्लोक १४.५
राग से वैराग , वैराग में ज्ञान तथा ज्ञान से आत्मा-परमात्मा तक की यात्रा होती है,गीता से
Friedrich nietzsche-19th century says--God is dead,we have killed him को
हम लोग पढ़े और इसपरम बात की प्रारंभिक कडी को अपनें सीने में लिख लिया तथा स्वयं
को परमात्मासे अलग करलिया गीता - श्लोक २.४७ की आधी बात कि हमें कर्म करना
चाहिए को पकड़ कर हम आशक्तिको भूल कर कर्म में पूरी तरह से आशक्त होगये
गीता-श्लोक २.४७,२.४८ सम भाव योग के परम सूत्र हैं

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