राग से संसार और बैराग से ब्रह्म मिलता है
आसक्ति संसार से और बिरक्ति ब्रह्म से जोड़ती है
अंहकार संसार में उपर उठाताहै और प्रीतिपरमात्मा में डुबोती है
चाह संसार से और भावातीत ब्रह्म से जोड़ता है
संदेह संसार में फैलाताहै और श्रद्धा परमात्मा में तैराती है
संसार ब्रह्म से ब्रह्म में है
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