Tuesday, February 24, 2009
कौन कब रोता है
बच्चा बात-बात पररोता है,उसके आंशू का कारणवह स्वयं नहीं होता , उसके आसपास के लोग होते हैं जैसे आप-हम जब बच्चा रोनेंलगता है तब उसके आस-पास के लोग उसके पास आजाते हैं,उसके आशुओं में सम्मोहन होता है बच्चे की आशूँ पोछनें वालों किकोई कमी नहीं वही बच्चा एक दिन बड़ा होता है,उसकी शादी होती है और तब जब वह कभीं-कभीं रो पड़ता है तब उसकी पत्नी उसके आशुओं को पोछती है बच्चा गोदी से यहाँ तक कि यात्रा कैसे तय किया इस बात का उसे कोई इल्म नहीं होता समय उसका नामहै जो हर पल आगे बढता रहे, वही बच्चा धीरे-धीरे कब और कैसे बृद्धहो गया इसका भी उसे पता नहीं चल पाता प्रारंभ में तो वह अपनीं बुडापा छिपाता है लेकिन यह एक सत्य है जिसको असत्य छिपा नहीं पाता ब्रिद्धावस्था में वह दिन भीं आ जाता है जब वह अपनें ही घर के आँगन में अपनों के बीच स्वयं को एक बेगानें के रूप में देखनें लगता है यह वही प्यारा गोदी का लाडला है जिसकी आशूँ सब को अपनीं तरफ़ खीच लेती थी,आज जब वह रोता है तो......... बात- उपहलीसके आशूँ बाहर न निकल कर अंडर ही अंदर जमते रहते हैं, कभीं-कभीं यदि दो-एक बूंद बाहर भी आती है तो उनको वह स्वयं इतनीं जल्दी पोछ लेता है कि आस-पास के लोग -उसके अपनें ही लोग देख भी नहीं पाते यह वह स्थिति है- जब अपनें पराये से दीखते हों, आशूँ बाहर न निकलकर अंदर की ओर जाती हो, अपनों को उठाते-उठाते स्वयं झुक गए हों,जब अपनें सभी आप की ओर पीठ करके खड़े हों ,शरीर में कभीं-कभीं कम्पन होता हो तो समझना परमात्मा ज्यादा दूर नहीं है
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