गीता में परम श्री कृष्ण,अर्जुन,संजय एवं धृतराष्ट्र -चार पात्र हैं,जिनमें संजय परम श्रोता के रूप में परम द्वारा दिए गए ज्ञान को सीधे वेदब्यास जी द्वारा प्राप्त दी गयी ऐश्वर्यदिब्य शक्ति से सुन रहे हैं,धृतराष्ट्र जी को यह ज्ञान संजय से मिल रहा है गीता में धृतराष्ट्र जी कभीं कोई प्रश्न नहीं उठाया और संजय तो परम के साथ मन से जुड़े हुए हैंगीता में अर्जुन सामान्य एक भोगी की भुमिका में हैं जो प्रारंभ से अंत तक मोह में डूबे हुए दिखते हैं मात्र श्लोक १८.७३ को छोड़ कर श्रोता की पहचान क्या है?
- जो संदेह रहित हो.......
- जो संकल्प रहित हो....
- जो श्रद्धा से भरा हो......
- जिसमें पूर्ण समर्पण का भाव भरा हो......
- जिसका मन स्थिर हो तथा बुद्धि निश्चयात्मिका बुद्धि हो.....
श्रोता होता है तथा उसके मन दर्पण पर परमात्मा प्रतिबिम्बित होता है
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