मन और मन्दिर का गहरा सम्बन्ध दिखता है, हम यहाँ मन्दिर की एक श्रंखला प्रारम्भ कर रहे हैं जो मन-साधना
के सम्बन्ध में आगे चल कर आप को मदद करेगी। आइये अब हम कुछ ऐतिहासिक बातोंकी स्मृति में चलते हैं।
कुरुक्षेत्र का प्राचीन शिव-मन्दिर........गीता-श्लोक-१
कुरुक्षेत्र को गीता महाभारत युध्य से पहले धर्म-क्षेत्र की संज्ञा देता है जैसा की गीता-श्लोक-१ से स्पस्ट है---क्यों यह
धर्म क्षेत्र था? गीता साधना में आप इस बिषय को अपना एक लक्ष्य बना सकते हैं। थानेश्वर और कुरुक्षेत्र एक शहर
के दो नामलगते हैं। डेल्ही-चंडीगढ़ मार्ग पर करनालसे ३० मिनट की दूरी पर तीर्थ स्थान कुरुक्षेत्र है। थानेस्वर ५१
शक्ति-पीठों में एक है। राज्य बर्धन के छोटे भाई प्रभाकर बर्धन के पुत्र--हर्ष बर्धन थानेश्वर के राजा 590-657
समयावधि में थे। महमूद गजनी थानेश्वर को 1011 में अपनें अधिकार में ले लिया था और लूटनें के इरादे से इस
प्राचीन मन्दिर को तोड़ दिया था। पूर्व में भारत की सारीसंपत्ति मंदिरों में बंद होती थी। गुजतात में सोम नाथ का
मन्दिर भी इसके द्वारा ही तोडा गया था। सन १९५१ तक थानेश्वर एक गाँव जैसा था। ऐतिहासिक दृष्टि से यह स्थान
घग्गर नदी के तट पर है जो प्राचीनतम पवित्र नदी सरस्वतीमें मिलाती थी। थानेश्वर इलाका सिंध नदी की सभ्यता
का क्षेत्र है जो अपनें में अनेक ऐतिहासिक रहस्यों को छिपाए हुए है।
अयोध्या का राम-मन्दिर
बाबर 1526-1530 तक भारत पर शाशन किया और सन 1528 में राम-मन्दिर को तोड़वा कर मस्जिद में इसे
बदल दिया ----ऐसी मान्यता है। बाबर के दस वर्ष बाद अकबर गद्दी पर बैठे समय में भारत के सभी भक्ति
से परिपूर्ण महान संतों का आगमन हुआ। बाबरी मस्जित के ठीक ४६ वर्ष बाद उसी राम-मन्दिर परिषर से राम
चरित मानस की रचना प्रारम्भ किया लेकिन पता नहीं क्यों राम-मन्दिर की जिक्र नही कर पाए। कहते हैं की
तुलसी दास के साथ हर पल हनुमानजी रहते थे और रम की मूरत उनके दिल में बसी थी पर राम का जन्म स्थान
उनके मानस-पटल परक्यों नही आया? अकबर के दरबार में अनेक उच्चाधिकारी हिंदू थे पर सब क्यों चुप थे ---
सोचनें का विषय लगता है।
काशी विश्व नाथ मन्दिर --काशी
औरन्जेब सन 1669 में इस मन्दिर को तोडा था जो अपनें में १२ ज्योतिर्लिन्गम में से एक को धारण किए हुए है।
काशी विश्वनथ मन्दिर ११२ वर्ष तक जीर्ण अवस्था में रहा जिसको अहिल्या बाई १७८० में पुनः बनवाया और
पंजाब के राजा रंजित सिंह १८३९ में स्वर्ण कलश से इस को सुसोभित किया। काशी नरेश को गीता और महाभारत
में जगह मिली है पर यह मन्दिर जीर्ण अवस्था में १०० वर्ष तक पड़ा रहा।
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