एकांत में बैठ कर अपनें सीने पर अपना हाँथ रखकर कुछ पल ह्रदय की धड़कन को सुनतेहुए आत्मा को महशुश करे ....आप यदि कुछ दिन ऐसा करेंगे तो आप स्वयं कुछ अवश्य पाएंगे-------
आइए अब कुछ गीता-सूत्रों को देखते हैं ।
१- आत्मा ह्रदय में धड़कता परमात्मा है --------------गीता-सूत्र १०.२० , १३.२२ , १५.७ , १८.६१
२- आत्मा अचल,स्थिर,सर्व ब्यापी , जन्म-मृत्यु से परे है --गीता-सूत्र २.२० , २.२४
३- शरीर में आत्मा सर्वत्र अकर्ता , विकार रहित द्रष्टा रूप में है --गीता-सूत्र १३.३२ , १३.३३
*** अब गीता की इन बातों के आधार पर आत्मा को बुद्धि के आधार पर समझते हैं...है तो यह काम कठिन
क्योंकि आत्मा की पकड़ बुद्धि सीमा के बाहर है ---यह तो एक अनुभूति है जो योग-सिद्धि से मिलतीहै ।
> वैज्ञानिक कहते हैं----जहाँ सर पर चोटी रखीजाती है वहाँ शरीर को नियंत्रित करनें का केन्द्र है जो अपनीं
सुबिधा के लिए मस्तिष्क की रचना करता है तथा जो शरीर समाप्ति के बाद भी जीवित ररता है । कुछ
लोग इसको चेतना [consciousness] और कुछ लोग मन कहते हैं । विज्ञान को अब कुछ तो ऐसा
दिखा है जो समयातीत सा दीखता है ।
> विज्ञानं का क्वांटम भौतिकी में आज जो भी है वह चेतना का फैलाव है और ऐसी कोई भी सूचना नही
जिसकी आत्मा न धड़कती हो जैसे एटम में एलेक्ट्रोंन चल रहे हैं प्रोत्रोंन - नयूत्रोंन में क्वार्क्स के जोड़े
धडक रहे हैं ----अर्थात सब का केन्द्र धडक रहा है और सब में जिव किसी न किसी रूप में है चाहे हम
उसे स्वीकार करें या न करें ।
## हम तभी किसी नतीजे पर पहुँच सकते हैं जब हम यातो सब की स्वीकारें या सब को नक्कारें ...कभी हाँ
और कभी ना की यात्रा पर कभी कुछ नही मिलता ।
## विज्ञान कहता है -------
जब दो हलके न्युक्लियाई आपस में मिलते हैं तब बहुत अधिक ऊर्जा निकलती है और एक शक्तिशाली
एटम बनता है ....इस प्रक्रिया को डबल फ्यूजन कहते हैं । गीता सूत्र ७.४---७.६ , १३.५,१३.६, १४.३, १४.४
जीव - उत्पत्ति के सम्बन्ध में ट्रिपल नुक्लियर फ्यूजन की बात करते है जो इस प्रकार है --------
++ जब नर - मादा के अपनें -अपनें एटम मिलते हैं तब उन दोनों की अपरा एवं परा प्रकृतियाँ मिलती हैं जो
सिंगल फ्युजेंन है और इस फ्युजेंन में आत्मा का कण जब आजाता है तब डबल फ्युजेंन के साथ एक
नए जीव के भारी कण का निर्माण होता है ।
Try to understand the single nuclear-fusion of nuclear-physics and double nuclear fusion of gita
----perhaps gita-nuclear fusion will bring you closer to the fact where your own beingness
will be clear to you...which is the ultimate truth।
=======ॐ ========
Thursday, April 23, 2009
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प्रिय मित्र,
ReplyDeleteआपकी रवनाएं पठनीय व संग्रह योग्य हैं। मैं एक साहित्यिक पत्रिका का संपादक हूं। आप चाहे तो अपनी रचनाओं को प्रकाशन के लिए भेज सकते हैं। मेरे ब्लाग पर अवश्य ही विजिट करें।
अखिलेश शुक्ल्
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