लंका में श्री राम-रावण युद्ध तो शायद कुछ दिनों का रहा होगा लेकिन श्री राम-मन्दिर से सम्बंधित विवाद सन १९९२ से चल रहा है और ऐसा लगता है - क्या कभी रुकेगा भी ?
श्री राम १४ वर्षों तक जंगल में थे , अपनें प्रवाशके आखिरी दिनों में लंका जाकर रावण से लड़ाई लड़ी ---- यहाँ आप कोसमझाना है की -----इस लड़ाई में श्री राम का साथ कितनें लोगों ने दिया ? ----श्री राम के साथ जो प्राणी थे , वे थे जंगल के पशु एवं पंछी ।
हम मनुष्य अपनें को जीवों में सर्ब श्रेठ मानते हैं और हमारे अंदर परमात्मा की सोच भी है लेकिन जब परमात्मा अवतरित होता है तब हम उसको क्यों नक्कारते हैं ?
अयोध्या में बाबरी मस्जिद तोड़ कर राम-मन्दिर खोजनें वाले तो लाखों में थे लेकिन जब राम थे तब उनके साथ हम में से कोई नही था---क्या हमें इस बात का अफ्शोश नही है ?
हम मुर्दा-पूजक हैं --हमें अपनें से उंचा कद पसंद नही आता । हम सत - पुरूष के साथ चलते तो नही लेकिन उनके जानें के बाद उसकी मूर्ति बना कर उनको पूजते जरुर हैं ।
महाबीर[599-527 bc] एवं बुद्ध [556-486 bc ] के समय अयोध्या कोशल राज्य का एक प्रमुख अंग था । उस समय यह शिशुनाग राजाओं के अधीन था [684-493 bc ] । अयोध्या, साकेत एवं श्रावस्ती, कोशल
राज्य के प्रमुख अंग थे , साकेत का अर्थ होता है---स्वर्ग सा-जिस के उपर मैथिलि शरण गुप्त नें किताब भी लिखा है और 600 bc. के आस-पास अयोध्या एक ब्यापारिक केन्द्र भी था । अयोध्या 322-185 bc. के मध्य जिन का था , वे मौर्या थे -चन्द्रगुप्त मौर्य २५ वर्ष राज्य करके जैन भिक्षुक बन गए थे और उनका पोता अशोका अपनें आखिरी दिनों में बौध भिक्षुक का जीवन बिताया था । अब हम अगले अंक में मौर्य समय के अयोध्या को देखेंगे ।
=====ॐ==========
Saturday, April 25, 2009
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