Sunday, April 26, 2009

अयोध्या - ३

बाबर अयोध्या में राम-मन्दिर को एक मस्जिद में बदल दिया संन १५२८ में ---
और ----४६४ साल बाद उस मस्जिद को तोड़ दिया गया, सन १९९२ में ---हिन्दुओं की आँख खुलनें में इतने साल लग गए----आप इस सम्बन्ध में क्या सोचते हैं ?
राजाको हमारे हिंदू धर्म में परमात्मा का दर्जा मिला हुआ है- लोग राजा को नरेश कहते हैं जो मंदिरों का निर्माण करवाते थे और राजा जिस धर्म को मानता था, प्रजा का भी वही धर्म होता था ।
मनु से मौर्या तक अयोध्या बिभिन्न आयामों से गुजरा है । वैदिक सभ्यता [रिग-वेद१७०० ईशा पूर्व -११०० ईशा पूरब ] से सम्बंधित जैन के प्रथम तीर्थंकर - आदि नाथ का सम्बन्ध अयोध्या के सुर्यबंशी कुल से है और अन्य चार और तीर्थंकरों का भी सम्बन्ध अयोध्या से रहा है ।
मौर्या साम्राज्य का पहला राजा चंद्र गुप्त मौर्या [३२२-२९८ ईशा पूर्व ] अपनें आखिरी समय में जैन भिक्षुक बन गए थे और उनका पोता अशोक महान [३०४- २३२ ईशा पूर्व ] अपनें आखिरी दिनों में बुद्ध-भिक्षुक बन गए थे ---ऐसा क्यों हुआ ? क्योंकि उस समय में जैन-बुद्ध का प्रभाव अधिक था । ऐसी बात भी इतिहास में मिलती है की बुद्ध कई बार अयोध्या आए थे और उनका अयोध्या से गहरा लगाव भी था ।
चलिए! चाहे कुछ भी रहा हो लेकिन मनु से मौर्या तक अयोध्या पर जैन-बुद्ध का गहरा प्रभाव था --यह बात स्पष्ट है । मनु से कुश तक का अयोध्या सूर्य बंशी राजावों का था और मौर्या समय में इस पर जैन-बुद्ध का प्रभाव पडा , ऐसी भी बात स्पष्ट है ।
मिश्र की सभ्यता फारोह [pharaoh] राजाओं से जानी जाती है जो ३१५०-३१ ईशा पूर्व में थी । अभी - अभी 21वी शताब्दी में फ्रंशिशी वैज्ञानिकों को एक चेओप राजा की पिरामिड मिलिहै जो २५६०-२५३२ ईशा पूर्व की मानी जाती है । फारोह राजा सूर्य बंशी राजा थे जो सूर्य की उपासना करते थे । यहाँ हमें इतिहास के गहराई में झाकना पड़े गा --अयोध्या के राजा और मिस्र के राजा दोनों सूर्यवंशी थे क्या इन दोनों में कोई सम्बन्ध था ?
अफ्रीका में सूडान की राजधानी खार्तूम से लगभग २००कि मी नील नदी के किनारे उत्तर-पश्चिम में ६ मीटर से ३० मीटर ऊंची पिरामिड मिले हैं जो कुश राजाओं से सम्बंधित हैं । मिस्र सभ्यता का यह भाग २७००ईशा पूर्व से ३५० बाद ईशा तक कुश राजाओं के अधीन था । क्या श्री राम के पुत्र कुश और मिस्र के कुश राजाओं के मध्य कोई सम्बन्ध हो सकता है ? अयोध्या के कुश सूर्यवंशी थे और मिस्र के कुश भी सूर्यवंशी थे ।
१३९१ ईशा पूर्व में मिस्र में मूसा हुए जो यहूदी, ईसाइयत और इस्लाम में पैगम्बर माने जाते हैं , इनको जन्म के समय टोकरी में रख कर रक्त सागर में फेक दिया गया था और भारत में श्री कृष्ण को ५५६१-८०० ईशा पूर्व में जन्म के साथ टोकरीमें रख कर यमुना पार भेज दिया गया था। मिस्र में मूसा से वहां के फारोह राजाओं को डर था और मथुरा के राजा कंश को कृष्ण से भय था ---क्या दोनों में आप को समानता नहीं दिखती ।
======ॐ=======

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