Wednesday, May 12, 2010
गीता गुण - तत्त्व ---- भाग - 01
गुण तत्व क्या हैं ?
गीता में गुण वह परम रसायन हैं जो तीन प्रकार के होते हैं और तीनों मिल कर एक अति सूक्ष्म माध्यम
का निर्माण करते है जिसको माया कहते हैं ।
माया से सम्मोहित ब्यक्ति प्रभु की ओर अपना रुख नहीं कर पाता ।
गुणों का होना प्रभु की देन है लेकीन गुण प्रभु के अन्दर नहीं हैं और प्रभु गुणों से प्रभावित भी नहीं होता ।
माया दो प्रकृतियों से है ; अपरा और परा जो ब्रह्माण्ड की सभी सूचनाओं का निर्माण करती हैं ।
माया एक झीने परदे की तरह है जिसके एक तरफ प्रभु की किरण होती है और दूसरी तरफ
भोग का आकर्षण ।
यह बात सत्य तो नहीं है लेकीन सत को ब्यक्त करनें के लिए असत का सहारा तो
लेना ही पड़ता है ।
माया का सम्मोहन मन - बुद्धि के अन्दर बहनें वाली ऊर्जा को कुछ इस प्रकार से
रूपांतरित कर देती है की मन - बुद्धि में प्रभु की किरण को देखनें की
शक्ति आ नहीं पाती ।
==== ॐ =====
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