Tuesday, May 25, 2010

गीता गुण रहस्य भाग - 15


कर्म गुणों के कारण होते हैं

गुण एवं कर्म के सम्बन्ध में आप गीता के निम्न सूत्रों को देखें ------
2.45, 3.5, 3.27, 3.33, 5.22, 18.38, 18.11, 18.48, 18.49, 18.50, 18.54 18.55

गीता के बारह सूत्र कहते हैं ........
गुण कर्म करता हैं और गुणों के प्रभाव में जो कर्म होते हैं वे भोग कर्म होते हैं , भोग कर्म करनें में सुख मिलताहैं
लेकीन उस सुख में दुःख छिपा होता है , आसक्ति रहित कर्म योग कर्म होते हैं जिनकी सिद्धि ज्ञान के माध्यमसे
परा भक्ति का द्वार खोलती है । भोग कर्मों में गुण तत्वों की पकड़ से मुक्त होना ही कर्म - योग है ।

आप यदि कर्म - योग में कदम रखना चाहते हैं तो आप को ऊपर बताये गए श्लोकों से मैत्री स्थापित करनी होगी ।
गीता मूलतः कर्म के माध्यम से प्रभु से जोडनें का विज्ञान देता है । अर्जुन को युद्ध के माध्यम से स्थित प्रज्ञ बनानें
का प्रयाश श्री कृष्ण कर रहे हैं और गीता को अपना कर आप भी स्थिर प्रज्ञता का मजा ले सकते हैं ।

====ॐ ======

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