Friday, May 14, 2010

गीता गुण रहस्य भाग - 04


आत्मा , गुण और कर्म सम्बन्ध

यहाँ आप देख सकते हैं , गीता के इन श्लोकों को -----
2.45, 3.5, 3.27, 3.33
2.14, 5.22, 18.11, 18.35

जब आप ऊपर बताये श्लोकों को अपनाएंगे तब आप को जो मिलेगा वह कुछ इस प्रकार से होगा ..........
[क] मनुष्य जो कुछ भी करता है वह गुणों के प्रभाव में करता है
[ख] गुणों के प्रभाव में जो होता है , वह है - भोग
[ग] भोग उसे कहते हैं जिसके करनें में सुख मिले पर परिणाम मिलनें के बाद दुःख हो
[घ] कर्म में यह समझना की गुण कर्म करता हैं , मनुष्य को द्रष्टा बनाता है
[च] कर्म का त्याग करना संभव नहीं , कर्म तो करना ही पड़ेगा
[छ] कर्म साधना का एक परम माध्यम है
[ज] कर्म के बिना गुण तत्वों को समझना संभव नहीं
[झ] कर्म से निष्कर्मता की सिद्धि मिलती है
[प] कर्म में गुण तत्वों की साधना कर्म में अकर्म - भाव पैदा करती है जो साधना का फल है
[फ] तीन गुण देह में आत्मा को रोक कर रखते हैं

===== एक प्रभु =======

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