Tuesday, May 25, 2010
गीत गुण रहस्य भाग - 14
गीता के पांच सूत्र
सूत्र - 2.28 ...... सभी प्राणी जन्म से पहले अप्रकट थे और मृत्यु के साथ पुनः अप्रकट हो जाते हैं , वर्तमान का
छोटा सा भाग जीवन का जो ब्यक्त है जब वह भी अप्रकट हो जाता है फिर लोग क्यों दुखी होते हैं ?
अब्यक्तादीनि भूतानि ब्यक्तमध्यानि भारत ।
अब्यक्तनिधनान्येव तत्र का परिदेवना ॥ 2।28 ॥
सूत्र 18.40 ..... पुरे ब्रह्माण्ड में कोई ऐसा सत नहीं जो गुणों से अछूता हो ।
सूत्र 7.12 - 7.15 तक ...... तीन गुण प्रभु से प्रभु में हैं लेकीन प्रभु गुनातीत है । तीन गुणों का माध्यम है - माया
जिससे यह संसार है और जीव हैं । माया मनुष्य को प्रभु से दूर रखती है और माया मुक्त योगी परम धाम को प्राप्त
करता है ।
गीता के पांच सूत्र साधना की बुनियाद हैं , यदि कोई इन सूत्रों को अपना कर साधना में उतरे तो वह एक दिन गुनातीत
योगी अवश्य बनेगा । श्री कृष्ण चाहते हैं वह जो असंभव है जो आज तक कभी घटित नहीं हुआ और न ही होगा ।
श्री कृष्ण चाहते हैं - अर्जुन युद्ध करे लेकीन गुनातीत स्थिति में , यह श्री कृष्ण का प्रयोग बहुत कठिन है , कोई
गुनातीत जो कामना क्रोध , लोभ , मोह एव अहंकार रहित होता है युद्ध क्यों करेगा ?
श्री कृष्णा का गीता हर कदम पर एक नयी सोच पैदा करता है , जो उसमें उलझ गया वह उलझ गया और जो
चलता रहा वह पहुँच जाता है उस पार ।
महाभारत युद्ध है क्या ?
एक परिवार के लोग आपस में लड़ रहे हैं , भाई भाई से लड़ रहा है , चाचे - ताऊ आपस में लड़ रहे हैं , गुरु
शिष्य आपस में लड़ रहे हैं आखिर क्यों लड़ रहे हैं , केवल अहंकार कारण है और कोई कारण नहीं दिखता ।
महा भारत युद्ध से भारत को क्या मिला , यह एक गंभीर बात है , भारत को इस युद्ध से कुछ नहीं मिला
लेकीन भारत की कमर जरुर टूट गयी ; देश के महान योधा , युद्ध विज्ञान के महान वैज्ञानिक , महान
चिकित्सक , बुद्धि जीवी सभी लोग मारे गए देश का सारा विकास समाप्त सा हो गया लेकीन मिला क्या ?
===== ॐ ======
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