Monday, February 22, 2010

गीता ज्ञान - 86

गीता श्लोक - 18.40

श्लोक कहता है ---- पुरे ब्रह्माण्ड में कहीं भी कोई ऐसा सत्य नहीं जो गुणों से अछूता हो ।
गीता के बुद्धि - योग का यह सूत्र आप को कोस्मिक - केमिस्ट्री में ले जाना चाहता है । प्लेटो [ 427 - 347 bce ]कहते हैं ---Man - a being in search of meaning अर्थात मनुष्य वह है जो खोज में रहता है तो आप भी गीता के सूत्र - 18.40 को अपनें खोज का बिषय बना कर कुछ तो कीजिये ।

Prof. Albert Einstein संन 1900 - 1955 तक इस खोज में बिताया की एक इंच लंबा वह सूत्र उनके हाँथ लग जाए जो सभी शक्तियों [ forces ] को जोड़ता हो । आइन्स्टाइन अपनें इस खोज में अपना सारा जीवन लगा दिया , इस खोज में, अंत समय तक वे 900 शोध पत्र प्रकाशित किये और 43000 ऎसी बातों को दिया जिन पर वैज्ञानिक सोच रहे हैं । आइस्ताइन जो अपनें चेतना में देखा उसे बुद्धि की सीमा में लानें के
लिए कोई कसर न छोड़ी जिस से अन्य वैज्ञानिकों को समझा सकें लेकीन चेतना की अनुभूति को बुद्धि में उतारना कभी संभव नहीं हो सकता - चाहे सिद्ध योगी हो या सिद्ध वैज्ञानिक दोनों की यही समस्या है ।
सन 1905 तक एटम के बारे में न के बराबर पता था और आइन्स्टाइन उसके बिभाजन की गणित को अपनें मॉस - एनेर्जी समीकरण के माध्यम से दिया , आप सोच सकते हैं की यह उनको कैसे मालुम हुआ होगा ?
ऋग्वेद कहता है -- वह स्वयं अपनी ऊर्जा से गतिमान हो उठा और ब्रह्माण्ड बना और गीता कहता है ---
प्रभु से प्रभु में प्रभु की माया जो तीन गुणों से परिपूर्ण है , उस से एवं उसमें प्रक्रति - पुरुष के योग से भूतों की रचना हुयी और मनुष्य क्षेत्र - क्षेत्रज्ञ के योग का परिणाम है । मनुष्य एक ऐसा प्राणी है जो एक पल भी बिना सोच के नहीं रह सकता , मनुष्य भोग , योग , काम एवं राम सब को सोच सकता है । गीता में प्रभु , गीता श्लोक - 2.55 - 2.72 एवं 14.22 - 16 . 24 तक अर्थात 68 सूत्रों में यह बतानें की कोशिश करते हैं की ------
प्रकृति - पुरुष एवं क्षेत्र - क्षेत्रग्य को समझ कर कैसे वहां पहुंचा जा सकता है जहां वह स्वयं है और जो ब्यक्त नहीं किया जा सकता -- जो गुणों से अप्रभावित है ।
गीता सूत्र - 18.40 कहता है ---कोई ऐसा सत्य नहीं जो गुणों से प्रभावित न हो लेकीन यह भी कहता है ---
तीन गुण , उनके भाव प्रभु से हैं लेकीन प्रभु गुनातीत - भावातीत है और यह भी कहता है -----
सत्य भावातीत है [ गीता - 7।12 - 7.13, 2.16 ]

=====ॐ=======

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