Thursday, February 25, 2010

गीता ज्ञान - 87

यह कैसा रहस्य है ?

गुणों का प्रभाव मनुष्य का स्वभाव बनाता है ----
स्वभाव से कर्म होता है , और -----
जातियां - गुण , स्वभाव एवं कर्म के आधार पर , प्रभु निर्मित हैं ।

आइये इस सम्बन्ध में देखते हैं गीता के कुछ श्लोकों को ------
[क] गीता सूत्र - 4.13, 18.41 -- परम श्री कृष्ण कहते हैं - ब्राह्मण , क्षत्रिय , वैश्य एवं शुद्र रूप में जातियों को
हमनें बनाया है जो स्वभाव , गुण एवं कर्म के आधार पर हैं ।
[ख] गीता सूत्र - 18.59 - 18.60 कहते हैं - स्वभाव से कर्म होता है ।
[ग] गीता सूत्र - 2.45, 3.5, 3.27, 3.33 को जब आप एक साथ देखेंगे तो आप को मिलेगा - गुण कर्म करता
हैं , गुण प्रभावित कर्म भोग - कर्म हैं ।
[घ] गीता सूत्र - 14.10 कहता है - हर प्राणी में हर पल बदलता तीन गुणों का एक समीकरण होता है ।

गीता की बातों को देखनें के बाद सोचनें की बात आती है , अब आप सोचिये ------
गुण परिवर्तनशील हैं , गुणों से स्वभाव बनता है और स्वभाव से कर्म होता है , इन सब में मूल तत्त्व है -
गुण समीकरण जो परिवर्तनशील है फिर जातियां कैसे परिवर्तनशील नही हो सकती ? क्या ब्राह्मण जाती में जन्मा ब्यक्ति , ब्राह्मण है ? जब की गीता कहता है - ब्राह्मण वह है जो ब्रह्म से परिपूर्ण हो - गीता - 2.46, 18.42 , क्या
ब्राह्मण कुल का हर सदस्य , सम भाव एवं ब्रह्म से परिपूर्ण होता है ? यदि कोई अन्य जाती का ब्यक्ति
ब्रह्म से परिपूर्ण हो तो क्या वह ब्राह्मण न होगा ? क्या महेश योगी , ओशो , रबिदास , कबीर आदि ब्राह्मण कुल में पैदा हुए थे ? क्या बुद्ध , महाबीर , विश्वामित्र ब्राह्मण थे ? यह नाजुक मसला है अतः हम यहाँ कुछ नहीं कह सकते
हमारी सीमा मात्र गीता तक है अतः इतना कह सकते हैं ---कोई ऐसा सत्य नहीं जो गुणों से अछूता हो और गुण का अर्थ है - असत्य [ गीता - सूत्र - 18।40 ]

=====ॐ======

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