Friday, September 3, 2010

गीता अमृत - 18


ब्रह्म क्या है ?

देखिये ! गीता के चार सूत्र और बुद्धि स्तर पर उसे जाननें की कोशिश में लग जाइए , जो मन - बुद्धि से परे है ।

गीता सूत्र - 14.3 ......
योनिः महत ब्रह्म तस्मिन् गर्भं दधामि अहम्
जीवों का बीज मेरे अधीन रहनें वाला , ब्रह्म को योनी में मैं स्थापित करता हूँ ।
गीता सूत्र - 13.13.......
ब्रह्म न सत है , न असत है ।
गीता सूत्र - 8.3.......
अक्षरं ब्रह्म परमं
गीता सूत्र - 8.31
जगत की सूचनाओं को जो ब्रह्म के फैलाव रूप में देखता है , वह ब्रह्म मय होता है ।

कोई कहता है -----ब्रह्म सत्यं जगत मिथ्या .....
कोई कहता है ----
अहम् ब्रहामाष्मी -----
कोई कहता है ------
ला इलाही इल अलाह .....
और
परम श्री कृष्ण कह रहे हैं ----
ब्रह्म भी मेरे अधीन है ॥
कुछ आप सोचें कुछ मैं सोचता हूँ , दोनों जहां मिलेंगे ......
वहाँ परम शून्यता में ब्रह्म की अनुभूति होगी ही ॥

===== ॐ ======

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