Wednesday, September 29, 2010

गीता अमृत - 42


कर्म योग समीकरण - 23

गीता श्लोक - 14.19 से 14.25 तक

अर्जुन का पहला प्रश्न है :-----
स्थिर प्रज्ञ की पहचान क्या है ? और .....
चौदहवां प्रश्न है :------
गुनातीत योगी की क्या पहचान है ?
इन दोनों प्रश्नों का एक उत्तर है , जिसको आप देख सकते हैं ------
गीता सूत्र - 2.54 से 2.72 तक
और गीता सूत्र - 14.22 से 14.27 तक में ॥

प्रभु कहते हैं :----

हे अर्जुन ! मोह, कामना , काम , संकल्प , विकल्प , क्रोध , लोभ , अहंकार रहित ,
गुणों को करता देखनें वाला ,
सम भाव में स्थिर जो है , वह है .........
योगी ---
सन्यासी ---
बैरागी -----
स्थिर प्रज्ञ ---
गुनातीत ......
और ऐसे योगी हर पल प्रभु में बसे हुए होते हैं ॥

===== ॐ ======

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