Saturday, September 4, 2010

गीता अमृत - 20


कर्म - योग समीकरण -- 01

[क] गीता सूत्र - 2.60
मन इन्द्रीओं का गुलाम है ......
[ख] गीता सूत्र - 2.67
बुद्धि मन का गुलाम है ......
[ग] गीता सूत्र - 2।58
इन्द्रियों पर ऐसा नियंत्रण होना चाहिए जैसे एक कछुआ अपनें अंगो पर नियंत्रण रखता है .......
[घ] गीता सूत्र - 2.62
बिषय - इन्द्रिय मिलन मन में मनन पैदा करता है , मनन से आसक्ति , आसक्ति से कामना बनती है .....
[च] गीता सूत्र - 2.55
कामना रहित , स्थिर - प्रज्ञ होता है .....

गीता के पांच सूत्र कर्म - योग समीकरण के रूप में दिए गए ,
आप इनका प्रयोग कर सकते हैं ।
## मंदिर जानें वालों की संख्या अनेक है , लेकीन मंदिर की मूरत कोई नहीं होना चाहता -----
## प्रवचन सुनना लोगों की आदत बन चुकी है , सभी प्रवचन मुक्ति का मार्ग दिखाते हैं
लेकीन मुक्ति तो
मरनें के बाद मिलती है ,
कौन मृत्यु को देखना चाहता है ?
धर्म को मनोरंजन का माध्यम न बनाएं ,
यह किसी पल आप को खीच लेगा ।

==== ॐ ======

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