Tuesday, September 21, 2010

गीता अमृत - 35


कर्म - योग समीकरण - 16

गीता के दो सूत्र ------

[क] सूत्र - 6.2 - 6.4
सूत्र कहते हैं -----
कर्म - योग और कर्म संन्यास , दोनों एक हैं और .....
संकल्प रहित कर्म , कर्म - योग है ॥
गीता आगे कहता है -----
कामना संकल्प की जननी है ....
कामना की जननी , आसक्ति है ....
आसक्ति की जननी मनन है .......
मनन की जननी है .....
इन्द्रियों का बिषयों से मिलना ॥
गीता की इतनी बातें क्या कुछ कम हैं ?

ऐसा ब्यक्ति जो अपनें दैनिक कर्म को योग में बदल कर संसार से बैराग्य का मजा
लेना चाहता है , उसके लिए ये बातें पर्याप्त हैं ॥
अपनें परिवार में रहते हुए , बैरागी जीवन का मजा कुछ और ही होता होगा , आइये
करते हैं अभ्यास , बैराग्य में कदम रखनें का ॥

===== ॐ ======

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