Wednesday, September 22, 2010
गीता अमृत - 36
कर्म - योग समीकरण - 17
गीता के एक परिवार के छः सूत्र ---------
[क] गीता सूत्र - 6.27
राजस गुण प्रभु की ओर रुख होनें नहीं देता , क्यों ?........
.... सूत्र - 3.37
.... क्योंकि काम - क्रोध राजस गुण से हैं , जिनके प्रभाव में पाप होता है ।
.... सूत्र - 2.62
.... क्योंकि कामना टूटनें की आशंका , क्रोध पैदा करती है ।
.... सूत्र - 2.56
.... क्योंकि क्रोध , राग , भय रहित ब्यक्ति , समत्व - योगी होता है ।
.... सूत्र - 4.10
.... क्योंकि क्रोध , राग , भय रहित ब्यक्ति , ग्यानी होता है ।
.... सूत्र - 16.21
.... क्योंकि काम , क्रोध लोभ नरक के द्वार हैं ।
यहाँ काम , कामना , क्रोध , लोभ राजस गुण के तत्त्व हैं और ......
भय है तामस गुण का तत्त्व अतः हम कह सकते हैं की ...............
राजस और तामस गुण प्रभु - मार्ग के अवरोध हैं ॥
प्रभु केवल यह नहीं चाहते की .......
अर्जुन युद्ध करें अपितु ........
यह चाहते हैं की इस युद्ध में ......
अर्जुन गुनातीत - योगी बन कर युद्ध में उतरें ॥
गीता खोज का सागर है जहां कई परिवार के सूत्र हैं जैसे काम , कामना , क्रोध
लोभ , मोह , भय , आलस्य आदि और इन सब तत्वों में अहंकार की भूमिका क्या है ,
इस बात के भी कुछ सूत्र हैं ।
कर्म योग , ज्ञान योग , कर्मातीत और ग्यानातीत , सब कुछ आप को गीता देता है ,
आप क्या चाहते हैं .......
यह जरुरी नहीं ,
गीता आप से क्या चाहता है , गीता में यह खोजना ,
गीता की साधाना है ॥
===== ॐ ========
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