Sunday, April 11, 2010

श्री गुरु ग्रन्थ साहिबजी एवं गीता - 28

कबीर जी साहिब का राम श्री ग्रन्थ साहिब जी का भी राम है

पहले हम कुछ ऐतिहासिक बातों को देखते हैं ----
[क] कबीर साहिब का जीवन काल - 1398 .. 15.18
[ख] श्री आदि गुरु नानकजी साहिब का जीवन काल - 1469 ... 1539
[ग] बाबरी मस्जिद बना , अयोद्ध्या में सन 1528 में
[घ] तुलसी दास 42 वर्ष की उम्र में अयोद्ध्या में राम चरित मानस की रचना प्रारम्भ किया - 1574 में
[च] अकबर गद्धी पर बैठे सन - 1556 में

आदि गुरु नानक जी साहिब बाबुर के सम्बन्ध में खूब लिखा , उसके अत्याचारों के सम्बन्ध में लोगों को
खूब बताया । तुलसी दस जी रावन की बरबर्ता के बारे में तो खूब लिखा लेकीन बाबुर की बर्बरता शायद उनको
न दिख पायी । तुलसी दास बाबरी मस्जिद के पास बैठ कर रामचरित मानस की रचना प्रारम्भ किया लेकीन
अयोद्ध्या में ज्यादा दिन रुक न पाए , काशी में जा कर दो वर्ष सात महीनों में श्री राम कथा को पूरा
किया । राम कथा भारत में इतनी सराही गयी की रामचरित मानस हर घर में पहुँच गया ।
तुलसी दास जी श्री राम मंदिर को तोड़ कर बाबरी मस्जिद बनावानें की बात को अपनें रामचरित मानस
में क्यों नही लिखा ? यह एक राजनीति है । तुलसीदास श्री राम प्रेमी थे , वे जब श्री राम के जन्म की बात
लिख रहे थे क्या उस समय उनके अन्दर श्री राम जन्मस्थान मंदिर की बात नहीं आयी होगी , ऐसा कैसे
संभव हो सकता है ?
बाबरी मस्जिद घटना के ठीक 28 साल बाद अकबर राज गद्दी पर बैठे , उनके दरबार में अनेक उच्च स्थानों पर
हिन्दू लोग थे लेकीन किसी नें बाबरी मस्जिद की बात करनें की हिम्मत न कर पाया , ऐसा क्यों , यह भी
एक राज निति है ?

सन 1528 से सन 1992 तक अर्थात 464 सालों के बाद बाबरी मस्जिद को गिरा दिया गया और आज तक
यह मुद्दा बिबाद का मुद्दा बन गया है ।
राजनीति और धर्माचार्यों का एक समीकरण होता है । दोनों मिलकर आम आदमी को नियोजित करते हैं ।
गीता श्लोक - 10.27 में प्रभु श्री कृष्ण राजा को भगवान् बता रहे हैं , राजा को नरेश नाम दिया गया है - ऐसा
क्यों ?
श्री कबीरजी साहिब लगभग 120 सालों तक काशी में रहे और राम नामी चादरें बेचते - बेचते उनको हर
आते - जाते ब्यक्ति में श्री राम दिखानें लगे , उनको राम मंदिर में नहीं मिले , सड़क पर हर पल मिलते थे और
कबीरजी साहिब इसमें ही खुश थे ।

==== एक ओंकार सत नाम =====

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