Friday, April 23, 2010

जपजी साहिब - 4

साचा साहिबु साचु नाइ
भाखिआ भाऊ अपारु
अमृत बेला सचु नाउ
वडिआई बिचारु
कर्मी आवे कपड़ा नदरी मोखु दुआरु
नानक एवै जाणिये
सभु आपे सचिआरु

वह सच्चा मालिक है , उसका नाम सच्चा है ...
अनेकों नें उसे प्रेम से पुकारा है ....
अमृत बेला में उसे पुकारो ....
उसकी महिमा को याद करो ....
कर्म से अगला जन्म मिलता है ...
उसकी कृपा से मुक्ति मिलती है ....
नानक कहते हैं ---
उसे ऐसे जानो जैसे सब कुछ सत है ॥

आदि गुरु नानकजी साहिब कह रहे हैं -----
कर्म से अगला जन्म मिलता है और सच्ची प्रीति से वह मिलता है , इस सम्बन्ध में आप गीता के इन श्लोकों को
देख सकते हैं ---- 14.14, 14.15, 2.22, 8.6, 15.8, 18.55, 6.30, 9.29
परम गुरु दूसरी बात कह रहे हैं --- अमृत बेला में उसे पुकारो , यह अमृत बेला क्या है ?
अमृत बेला वह समय है जब न दिन हो न रात हो , न रात हो न दिन हो अर्थात ----
वह वक्त है जब दिन समाप्त हो रहा हो और रात्री का आगमन हो रहा हो या जब रात्री का समापन हो रहा हो और
दिन का आगमन हो रहा हो । यह वक्त हिन्दू परम्परा में संध्या नाम से जाना जाता है जिस समय ध्यान
करनें से उत्तम परिणाम मिलनें की संभावना होती है । अमृत बेला गोधुली का वक़्त होता है जिस समय
प्रकृति सम भाव में होती है और ध्यान में सम भाव की स्थिति में प्रभु की लहर तन - मन एवं बुद्धि में
समाती है ।
सच्चा गुरु वह है ......
सत वह है .....
भावातीत वह है .....
और -----
निर्गुण वह है ।
नानक जी साहिब कहते हैं सारा ब्रह्माण्ड उसका ही फैलाव है फिर तूम उसे क्या खोजता है , वह तो सब में है ,
बश उसके पहचाननें की दृष्टि भक्ति से प्राप्त करलो ।

==== एक ओंकार सत नाम ======

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